Description
‘कशकोल’ राजकुमार केसवानी का नया कारनामा है। जहान-ए-रूमी और दास्तान-ए-मुग़ल-ए-आज़म जैसी शाहकार किताबों के बाद यह किताब भी यक़ीनन एक निहायत ज़रूरी किताब है। उर्दू अदब के नुमाया किरदारों की जिंदगी के जाने-अंजाने सफ़हात को कहीं अक़ीदत भरे लफ़्ज़ों में तो कहीं मौसीक़ाराना हुनर वाली बंदिश की तरह इस ख़ूबसूरती से बांधा गया है कि हर लफ़्ज़ एक गीत की तरह दिल में गूंज बनकर बस जाता है। -अजमल कमाल संपादक, आज.
‘कशकोल’ राजकुमार केसवानी का नया कारनामा है। जहान-ए-रूमी और दास्तान-ए-मुग़ल-ए-आज़म जैसी शाहकार किताबों के बाद यह किताब भी यक़ीनन एक निहायत ज़रूरी किताब है। उर्दू अदब के नुमाया किरदारों की जिंदगी के जाने-अंजाने सफ़हात को कहीं अक़ीदत भरे लफ़्ज़ों में तो कहीं मौसीक़ाराना हुनर वाली बंदिश की तरह इस ख़ूबसूरती से बांधा गया है कि हर लफ़्ज़ एक गीत की तरह दिल में गूंज बनकर बस जाता है। -अजमल कमाल संपादक, आज.