Description
जब भारतीय क्रिकेट टीम के कुछ युवा खिलाड़ियों को मालूम चला कि मिड-लेवल एडवर्टाइज़िंग एक्जीक्यूटिव ज़ोया सिंह सोलंकी की पैदाइश ठीक उसी समय की है जिस लम्हे भारत ने 1983 में वर्ल्ड कप जीता था, तो वे हैरान हो जाते हैं। ज़ोया के साथ नाश्ता करने का सिलसिला जब उनके लिए एक के बाद एक जीत के सिलसिले ले आता है तो कुछ खिलाड़ी न सिर्फ़ ज़ोया से बहुत प्रभावित हो जाते हैं बल्कि इस पर भी यकीन करने लगते है कि ज़ोया उनकी लकी चार्म है। ज़ोया के फ़ैन जहां उसे सर आंखों पर रखते हैं वहीं प्रतियोगी टीमें ज़ोया से नफरत करती हैं। लेकिन प्यार और मोहब्बत के इस खेल के बीच ज़ोया भारतीय क्रिकेट टीम के लिए जी-जान से हर वो काम करने को तैयार है जिससे टीम को जीत हासिल हो। ज़ोया के लिए ये काम भी बहुत मुश्किल नहीं होता, अगर टीम का हुनरमंद और काबिल कप्तान ज़ोया के ख़िलाफ़ न होता, और वो भी सिर्फ़ ये जताने के लिए कि उसे अपनी टीम के लिए इस लकी ज़ोया फ़ैक्टर की कतई ज़रूरत नहीं है।
जब भारतीय क्रिकेट टीम के कुछ युवा खिलाड़ियों को मालूम चला कि मिड-लेवल एडवर्टाइज़िंग एक्जीक्यूटिव ज़ोया सिंह सोलंकी की पैदाइश ठीक उसी समय की है जिस लम्हे भारत ने 1983 में वर्ल्ड कप जीता था, तो वे हैरान हो जाते हैं। ज़ोया के साथ नाश्ता करने का सिलसिला जब उनके लिए एक के बाद एक जीत के सिलसिले ले आता है तो कुछ खिलाड़ी न सिर्फ़ ज़ोया से बहुत प्रभावित हो जाते हैं बल्कि इस पर भी यकीन करने लगते है कि ज़ोया उनकी लकी चार्म है। ज़ोया के फ़ैन जहां उसे सर आंखों पर रखते हैं वहीं प्रतियोगी टीमें... Read More