Description
जब हम अपने आसपास छोटे-छोटे बच्चों को मजदूरी करते या कूड़ा बीनते देखते हैं या जब हम बच्चों की तस्करी और उनके यौन-शोषण के बारे में पढ़ते हैं, तब हमारे मन में क्या विचार आते हैं? शायद ज्यादा कुछ नहीं। हमने इसे जीवन की आम बात मान लिया है। लेकिन एक ऐसा व्यक्ति भी है, जो बच्चों को उनका खोया हुआ बचपन लौटाने के काम में जी-जान से जुटा हुआ है। वह व्यक्ति है, 2014 का संयुक्त शांति नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी। प्रस्तुत बाल-उपन्यास में प्रो. राजेश कुमार ने कैलाश सत्यार्थी द्वारा बच्चों के लिए किए गए अद्भुत कामों को रोचक शैली में पेश किया है।
जब हम अपने आसपास छोटे-छोटे बच्चों को मजदूरी करते या कूड़ा बीनते देखते हैं या जब हम बच्चों की तस्करी और उनके यौन-शोषण के बारे में पढ़ते हैं, तब हमारे मन में क्या विचार आते हैं? शायद ज्यादा कुछ नहीं। हमने इसे जीवन की आम बात मान लिया है। लेकिन एक ऐसा व्यक्ति भी है, जो बच्चों को उनका खोया हुआ बचपन लौटाने के काम में जी-जान से जुटा हुआ है। वह व्यक्ति है, 2014 का संयुक्त शांति नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी। प्रस्तुत बाल-उपन्यास में प्रो. राजेश कुमार ने कैलाश सत्यार्थी द्वारा बच्चों के लिए किए गए अद्भुत कामों... Read More