Description
गुरु भक्त बालक एकलव्य को भला कौन नहीं जानता एक भील होने के कारण गुरु द्रोणाचार्य ने उसे अपना शिष्य बनाने से मना कर दिया। फिर भी एकलव्य अपने गुरु की मूर्ति के सामने अपनी धनुर्विद्या का अभ्यास करते रहे और अंत में एक उत्तम धनुर्धारी बन गए। जब उनके गुरु को इस बात का पता चला तो उन्होंने गुरुदक्षिणा में एकलव्य का दाहिना अँगूठा ही माँग लिया और एकलव्य ने बिना हिचके एक पल में अपना अँगूठा काटकर गुरु को भेंट कर दिया। इस पुस्तक में महान कथा-शिल्पी कमलेश्वर द्वारा लिखित एकलव्य, शिवाजी और कई आदर्श पात्रों के जीवन पर आधारित बाल नाटकों को दिया गया है, ताकि बच्चे महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लें। अनेक सुंदर चित्रों के साथ-साथ अंत में एक प्रश्नोत्तर भी है, जिसे हल करके आप अपनी परीक्षा खुद ले सकेंगे।
गुरु भक्त बालक एकलव्य को भला कौन नहीं जानता एक भील होने के कारण गुरु द्रोणाचार्य ने उसे अपना शिष्य बनाने से मना कर दिया। फिर भी एकलव्य अपने गुरु की मूर्ति के सामने अपनी धनुर्विद्या का अभ्यास करते रहे और अंत में एक उत्तम धनुर्धारी बन गए। जब उनके गुरु को इस बात का पता चला तो उन्होंने गुरुदक्षिणा में एकलव्य का दाहिना अँगूठा ही माँग लिया और एकलव्य ने बिना हिचके एक पल में अपना अँगूठा काटकर गुरु को भेंट कर दिया। इस पुस्तक में महान कथा-शिल्पी कमलेश्वर द्वारा लिखित एकलव्य, शिवाजी और कई आदर्श पात्रों के जीवन... Read More