Description
कहानिया को जिस अंदाज में कैनवास पर कमलेश्वर उकेरते रहे! वह अन्यत्र दुर्लब हैं! उनकी कहानियाँ जिंदगी की जीती-जगती मिसार हैं! लगता हैं की हम कागज पर इबादत लिखी कहानी को पढ़ रहे हैं, बल्कि किसी सस्ती, मोहल्ले, घर, चौपाल, झोपड़ी, सड़क या कारखाने में रोजमर्रा की आफतो और छोटी-छोटी खुशियाँ को जी रहे अच्छे-बुरे लोगो के जीवन शब्द-चित्र हैं, बिलकुल अपने से लगते और भीतर के मर्म को छूटे-कचोटे!
कहानिया को जिस अंदाज में कैनवास पर कमलेश्वर उकेरते रहे! वह अन्यत्र दुर्लब हैं! उनकी कहानियाँ जिंदगी की जीती-जगती मिसार हैं! लगता हैं की हम कागज पर इबादत लिखी कहानी को पढ़ रहे हैं, बल्कि किसी सस्ती, मोहल्ले, घर, चौपाल, झोपड़ी, सड़क या कारखाने में रोजमर्रा की आफतो और छोटी-छोटी खुशियाँ को जी रहे अच्छे-बुरे लोगो के जीवन शब्द-चित्र हैं, बिलकुल अपने से लगते और भीतर के मर्म को छूटे-कचोटे!