Description
“यह सही है कि हिमालय की हर चट्टान से गंगा नहीं निकलती, लेकिन हिमांशु जोशी के अनुभव - जन्य हिमालय की प्रत्येक चट्टान से एक गंगा या एक उर्वरा नदी निश्चय ही निकलती है!” - कमलेश्वर हिमांशु जोशी के अनुभव इतने सघन और व्यापक हैं कि कथा की धरती को उर्वरा बना देते हैं। इस मायने में वह एक सिद्धहस्त रचनाकार हैं। वह संवेदना और यथार्थ को कथा के कैनवास पर मुक्त छोड़कर सबको अपना जीवन खुद जीने देते हैं। इस संकलन में हिमांशु जोशी की यादगार कहानियां दी जा रही हैं, जो कथा रसिकों और शोधार्थियों के सामनेे उनके कथा - व्यक्तित्व को समग्र रूप से साकार करेंगी। हिमांशु जोशी ने दर्जनों उपन्यास और कहानियां लिखीं, जो तमाम कथा - समय में चर्चा के केन्द्र में बनी रहीं। लगभग सभी भारतीय और प्रमुख विदेशी भाषाओं में रचनाओं के अनुवाद हुए। ‘यातना शिविर में’ स्वाधीनता संग्राम की गाथा बहुचर्चित हुई। इसे उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने विशिष्ट पुरस्कार से नवाज़ा। अन्य अनेक पुरस्कार व सम्मान प्राप्त। कुमाऊं विश्वविद्यालय से डी.लिट. की मानद उपाधि। ‘सु - राज’ अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोह में प्रदर्शित। ‘कगार की आग’ पर भी फिल्म बनी। ‘सूरज चमके आधी रात’ यात्रा - वृतांत की खूब सराहना हुई। एक लम्बे समय से पत्रकारिता से जुड़े हैं।
“यह सही है कि हिमालय की हर चट्टान से गंगा नहीं निकलती, लेकिन हिमांशु जोशी के अनुभव - जन्य हिमालय की प्रत्येक चट्टान से एक गंगा या एक उर्वरा नदी निश्चय ही निकलती है!” - कमलेश्वर हिमांशु जोशी के अनुभव इतने सघन और व्यापक हैं कि कथा की धरती को उर्वरा बना देते हैं। इस मायने में वह एक सिद्धहस्त रचनाकार हैं। वह संवेदना और यथार्थ को कथा के कैनवास पर मुक्त छोड़कर सबको अपना जीवन खुद जीने देते हैं। इस संकलन में हिमांशु जोशी की यादगार कहानियां दी जा रही हैं, जो कथा रसिकों और शोधार्थियों के सामनेे उनके... Read More