Description
‘निशा−निमन्त्रण’ बच्चन का बहुत ही लोकप्रिय काव्य है। इसका पहला संस्करण 1938 में निकला था। “निशा−निमन्त्रण को 100 गीतों का संग्रह न समझें। वास्तव में यह सौ पदों में एक ही कविता है जो सन्ध्या से आरम्भ हो, रात के अन्धकार में विकसित होती हुई प्रातर: के वातावरण में समाप्त होती है।’’
‘निशा−निमन्त्रण’ बच्चन का बहुत ही लोकप्रिय काव्य है। इसका पहला संस्करण 1938 में निकला था। “निशा−निमन्त्रण को 100 गीतों का संग्रह न समझें। वास्तव में यह सौ पदों में एक ही कविता है जो सन्ध्या से आरम्भ हो, रात के अन्धकार में विकसित होती हुई प्रातर: के वातावरण में समाप्त होती है।’’